दो टुक ! - राजा के बाद कौन ? ५ फरवरी २०११


- ए. राजा की गिरफतारी के बाद लगरहा था की सरकार बदमाश कम्पनी के बाकि सदशो को भी गिरफ्तार करेगी. लेकिन इतने दिन होने के बाद भी बदमाश चैन की नींद ले रहे है और जनता का सुख चैन छिना हुवा है. मैंने सरकार के एक इमानदार अधिकारी को घुस्से में पूछा, तो वह बड़ा असहाय होके बोले, "जिनको अर्रेस्ट करना है उनके सबुत मिटाने का काम अभी चलरहा है, सबूत ख़त्म होने के बाद उनको भी पकड़ेंगे !" अर्थात जनता को बेवखुब बनाने का एक और ड्रामा होगा. राष्ट्र मंडल खेलो के आरोपियों पे सी.बी.आई. चार्जशीट दाखिल नहीं कर पायी और आरोपियों को बेल हुई. इसी मे कलमाड़ी की गिरफ़्तारी रोकने और छोड़ने का रास्ता भी बनाया गया. देश में अंग्रेजो और मुघलो के बराबरी की, या शायद उनसे जादा की लुट उनके लुटेरे वंशजो ने पिचले कुछ सालो में की है. सरकार याद रखे! हर पापी का पाप का घड़ा भरता है! तब - तब के राजा, प्रशाशक या सरकारों ने उस पाप का हिसाब किताब नहीं किया तब - तब देश के असली मालिक जनता ने उस हिसाब को बराबर किया है और नियति ने उनका साथ भी दिया है. ए राजा के बाद अशोक चवान, कलमाड़ी से लेके सारी बदमाश कम्पनी जब तक सलाखों  के  पीछे नहीं जाती तब तक जनता और नियति को पाप का हिसाब सुरु हुवा है येसा नहीं लगेगा. और हा! इस हिसाब को चुकता करने के लिए जनता का पढ़ा लिखा होना जरुरी नहीं, भगवान हर प्राणी मात्र को जान और जनता को देश बचाने के लिए स्व-संरक्षण का जन्मसिद्ध ज्ञान और अधिकार देता है. तो सुरु हो जाओ! काही देर ना हो जाये !!
सुरेश चव्हानके
चेअरमन एवं संपादक 
सुदर्शन न्यूज़ चैनल

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